..................हमने तुमने दोनों ने सीमाएं तोड़ी हैं
हर रस्म दुनिया की दीवार गिरा कर,
न कुछ पाकर, पर सबकुछ खो कर,
पिरो रहा था जब मैं मोती अंतिम ,
तब तुमने मेरे ख्वाबों की मालाएं तोड़ी हैं.
..................हमने तुमने दोनों ने सीमाएं तोड़ी हैं
मैं तुमको पाने की और तुम,
मुझको खोने की,
कर कर कोशिश नाकाम हुए जब,
तब जाना हमने, किस्मत अपने, बस में कितनी थोड़ी है.
..................हमने तुमने दोनों ने सीमाएं तोड़ी हैं
No comments:
Post a Comment